भ्रष्टाचार
हर दफतर का शिष्टाचार बन बैठा हैं भ्रष्टाचार
कहता हमसे हाथ मिलाओ, कर देंगें तुम्हारा बैडा पार ,
मैं भी इतराया ,अपने आप को कर्मयोगी बतालाया,
पर वो भी कहां था मानने वाला,
उसने पुरे प्रजातंत्र को ही कुछ इस तरह खंगाला
बार्फोस,ताबूत,तेलगी,तहलका,हवाला सब गिना डाला,
बडे गर्व से उसने कहा भष्ट्र नेता जनता न संभाल पाऐगे,
बन जाओ हमारे ओ हरिशचंद तुम्हारे बच्चे भी पल जाऐगें,
नेता, अभिनेता, पुलिस, कानून,हर कोई साथ मेरे नाचता हैं
पंडित कुरान तो मुल्ला रामायण बांचता हैं,
अवसरवाद् के दौर में भष्ट्रचार का ही जूनून हैं
जनतंत्र के शरीर में भष्ट्रचार का ही खून हैं
मेरा तो स्वाभिमान खौल रहा था भष्ट्राचार सर चढ के बोल रहा था,
मुझे कोई तर्क सूझ न रहा था उसे तो गांधी ,बुद्ध भी नही बूझ रहा था
हम दोनो के बीच एक अपाहिज मिल गया जिसे देख भष्ट्राचार भी हिल गया
तिहाड से था आया और अपने को भष्ट्राचार का भाई बतलाया,
बीमार चल रहा था दवाई की मिलावट ने तो और बीमार बनाया,
अब तो भी भष्ट्राचार कतराने लगा,उसे भी अपना अपना
अपाहिज भविष्य नजर आने लगा,,,,,,,,
मैंने अपाहिज से हाथ मिलाया उसे संयम,सदाचार और सत्य का टांनिक पिलाया,
अपाहिज का बुझा चेहरा भी खिल गया,
मुझे भी भष्ट्राचार का सीधा जबाब मिल गया..........
सतीश कुमार चौहान
खुर्सीपार भिलाई
हर दफतर का शिष्टाचार बन बैठा हैं भ्रष्टाचार
कहता हमसे हाथ मिलाओ, कर देंगें तुम्हारा बैडा पार ,
मैं भी इतराया ,अपने आप को कर्मयोगी बतालाया,
पर वो भी कहां था मानने वाला,
उसने पुरे प्रजातंत्र को ही कुछ इस तरह खंगाला
बार्फोस,ताबूत,तेलगी,तहलका,हवाला सब गिना डाला,
बडे गर्व से उसने कहा भष्ट्र नेता जनता न संभाल पाऐगे,
बन जाओ हमारे ओ हरिशचंद तुम्हारे बच्चे भी पल जाऐगें,
नेता, अभिनेता, पुलिस, कानून,हर कोई साथ मेरे नाचता हैं
पंडित कुरान तो मुल्ला रामायण बांचता हैं,
अवसरवाद् के दौर में भष्ट्रचार का ही जूनून हैं
जनतंत्र के शरीर में भष्ट्रचार का ही खून हैं
मेरा तो स्वाभिमान खौल रहा था भष्ट्राचार सर चढ के बोल रहा था,
मुझे कोई तर्क सूझ न रहा था उसे तो गांधी ,बुद्ध भी नही बूझ रहा था
हम दोनो के बीच एक अपाहिज मिल गया जिसे देख भष्ट्राचार भी हिल गया
तिहाड से था आया और अपने को भष्ट्राचार का भाई बतलाया,
बीमार चल रहा था दवाई की मिलावट ने तो और बीमार बनाया,
अब तो भी भष्ट्राचार कतराने लगा,उसे भी अपना अपना
अपाहिज भविष्य नजर आने लगा,,,,,,,,
मैंने अपाहिज से हाथ मिलाया उसे संयम,सदाचार और सत्य का टांनिक पिलाया,
अपाहिज का बुझा चेहरा भी खिल गया,
मुझे भी भष्ट्राचार का सीधा जबाब मिल गया..........
सतीश कुमार चौहान
खुर्सीपार भिलाई
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