हमारे आपके आस पास की बाते जो कभी गुदगुदाती तो कभी रूलाती हैं और कभी दिल करता है दे दनादन...

Thursday, May 20, 2010

इमोशनल अत्‍याचार

जब हम छोटे थे तब डमरू वाले मदारी और उनके जमूरे आते थे,जो बंदर, बंदरिया व भालू की उछलकूद के साथ इनकी शादी भी कराते थे बंदरिया के नखरे ,प्‍यार और रूठ कर मायके जाने की अदा, भालू का दुल्‍हा बन कर मटकना खूब हंसाता था, ऐसा ही कुछ कुछ होता था ढोल और थाली बजाते हुऐ रस्‍सी पर चलने वालो और छोटे से रिंग से अपने शरीर को तोड मरोड कर निकालने वाले बच्‍चो के खेल में, जिसमें भी मेहनत व कलाबाजी थी,मंनोरंजन भी अच्‍छा होता था, रूपया, दो रूपया, चांवल आटा देकर लोग खुश हो लेते थे पर बात तब बिगडती थी इन मदारी किस्‍म के लोगो ,द्वारा जब हम जैसे तमाशबीनो में प्रबल असुरक्षा के भय को जगा कर वैज्ञानिक प्रमाणिकताहीन ताबीज बेचने का प्रयास होता था और यही इमोशनल अत्‍याचार की शुरूवात हैं....
 ऐसा ही कुछ कर रहे हैं हमारे देश के बाबा किस्‍म के लोग.......निरोग के लिऐ योग तो ठीक हैं,पर संत के चोले में चल रहा जडी बूटी का बडा






कारर्पोरेट बिजनेश पुरे देश में उसके आउटलेट खोल कर झोला छाप लोगो की कलम से प्रमाणिकताहीन जडी बूटी, सब्‍जी भाजी,नैतिकता और डाक्‍टरेट की किताबो के आकर्षक पैकट उचे दाम पर बिकवाना ये भी तो हैं इमोशनल अत्‍याचार..............   
इन माफिया किस्‍म के बिजनेस के खिलाफ भाषण बेकार हैं, क्‍योकी आस्‍‍था ,मीडिया ( इनके खुद के चैनल हैं ) और राजनीति जिसके साथ हैं वो ही सिकन्‍दर हैं,पर कडवा सच तो ये हैं कि
आस्‍था और अंधविश्‍वास के बीच बहुत महीन पर्दा शेष हैं........
जमूरे शुरू हो जा सांस अन्‍दर ले, पैसे छोड दे
सतीश कुमार चौहान भिलाई
photo  qsbs.blogspot

1 comment:

मनोज कुमार said...

ये कमाल के फोटो कहां से बनाए?!!!!