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Tuesday, September 7, 2010

नेता जी का मजगा

पिछले दिनो सुबह सुबह जब आफिस जाने की जल्‍दबाजी थी तभी पडोस की बुजूर्ग आण्‍टी ने सडक पार चौक के मेडिकल से ब्‍लड प्रेशर की दवाई लाकर देने का आग्रह कर दिया , दवाई जरूरी थी और कोई विकल्‍प भी नही था हम बाईक से निकले तो प्राय खाली रहने वाले चौक पर भी जबरजस्‍त जाम लगा था भारी पुलिस इंतजाम, एक महिला पुलिस अधिकारी एक हाथ में वाकी टाकी दूसरे हा‍थ में मोबाईल लऐ मंद मंद मुस्‍कान के साथ किसी से बतियाते हुऐ सडक के शहनशाह के समान बीच चौक में खडी थी, आस पास कुछ पटिया छाप नेता हाथ में मोगरे की माला लिये खीस निपोरे खडे थे सडक के बीचो बीच एक लम्‍बी पटाखे की लडी बिछी हुई थी जिसके एक सिरे पर एक माचिस बाज तैनात था ढोल मास्टर नशे में टुन्‍न ढोल का शोर मचाऐ हुऐ था, स्‍कूली बसो को भी सडक से किनारे लगा दिया गया था ठूसे पडे बेचारे बच्‍चे भी छटपटा रहे थे, इस बीच में ही फंसी एम्‍बूलेंस की लगातार दम तोडती बैटरी भी उसके सायरन को हिचकियो में बदलती प्रतीत हो रही थी, मेरे जैसे सेकडो लोग, डियूटी जाने वालो को गेट बन्‍द होने व हाजिरी कटने का डर सता रहा था हर तरफ बैचैनी साफ दिख रही थी खडे लोगो की भारी भीड गवाह थी की जाम लम्‍बे समय से हैं सडक पार भी न‍ही करने की भी इजाजत नही थी कोई दुखडा सुनाऐ या आग्रह करे तो अतिउत्‍साही पुलिस के मुसटण्‍डो द्वारा लाठी लहरा दी जाती थी, खैर काफी देर के बाद एक सायरन बजाती गाडी जिप्‍सी गुजरी जिसमें लटके पुलिसवाले हम राहगीरो की ओर लाठी लहराते हुऐ माचिसबाज को ईशारा करते हुऐ गुजर गई फटाके फडफडा लगे, इसी के साथ हम जनता के लिऐ, हम जनता द्वारा चुना गये हम जनता के प्रतिनिधी का तीस चालीस लाल बत्‍तीयो की गाडीयो का काफिला बीच चौराहे पर रूका, फूल मालाऐ उछलने लगी हा हा ही ही हुआ,चौक का निर्जीव ट्रैफिक खम्‍बा भी बेचारा लाल, पीला हरा होता रहा इन सब से बेपरवाह सायरनो का ताण्डव आगे चौक के लिऐ बढ गया सब कुछ मिनटो में निपट गया,ताम पुलिसवाले बिखर झितर गऐ, चौराहे पर रेलमतेल मच गई हमारे पास खडे एक पुलिस अफसर के पास आकर एक नेताजी ने हाथ मिलाते हुऐ कहा यार पद्रह मिनट और पहले आकर चौक ब्‍लाक कर देते तो और अच्‍छा मजमा लग जाता खैर अच्‍छी भीड जुट गई, चलिऐ निपट गऐ ..... आईऐ चाय पीया जाय.....

सतीश कुमार चौहान , भिलाई


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