Saturday, October 31, 2015
क्या भारत का पाकिस्तासनीकरण हो रहा हैं ...
क्या भारत का पाकिस्तासनीकरण हो रहा हैं ...
पाकिस्तान, दक्षिण एशिया का एक महत्वापूर्ण देश है.भारत का अहम पड़ोसी होने के बावजूद राजनीतिक अस्थिरता और तालिबान के बढ़ते प्रभाव के चलते पाकिस्तान को विफल देश घोषित किया जा चुका है,दरअसल तालिबान एक ऐसी जमात हैं जो धार्मिक कट्रटरता के चलते देश में अमन तरक्कीत और खुशहाली को भी लगातार एक तरफ कर रही हैं अपने धार्मिक ऐजेंडे पर ही काम कर रही हैं, चूकी हम हिन्दू स्ताकनी इसके पडोसी होने के साथ साथ प्रजातांत्रिक दायरे में रहते हुऐ धर्मनिरपेक्ष तानेबाने में बुने हुऐ हैं ,इसलिऐ हमारे गौरव व वैभवशाली विकास का तमाम एशियाई देश नही समूचा विश्व सम्मा न करता हैं,पर आज विश्वै के सबसे बडे हमारे लोकतंत्र में घट रही कुछ घटनाओ से समूचा विश्वश चिन्तिवत हैं , क्या पाकिस्तान का धर्म आधारित मॉडल हमारा आदर्श बन रहा है ? क्यां ,देश की आवाम सामाजिक राजनितिक आर्थिक और धार्मिक धुर्वीकरण का शिकार हो रही हैं, हिन्दुक बाहुल्ये राष्ट्रा में यह चितां मुसलमान के ही लिऐ नही बल्कि अब तो हिन्दुक के माथे पर भी चिन्ता की लकिरे खीच रही हैं पिछले कुछ समय में बेतहाशा बढ़ती असिहुष्णता और प्रयोजित अत्या चार, जिसमें सरकार की भागीदारी अगर न भी हो पर भूमिका तो नैतिक रूप भयावह संकेत देती हैं, कया हमारी भारतीयता पर राष्ट्र बोध भारी पड रहा हैं ? क्या अनेकता में एकता का गौरव गान हम ही भूल कर हम वहीं गलती नहीं कर रहे जो हमारे पडोसी देश पाकिस्तायन की हूकूमत ने की और खामियाजा पुरा मुल्क भुगत रहा हैं, जिसकी बेबसी आज जगजाहिर हैं ,हम पाकिस्तान की तरह बर्बाद न हो ! शायद इन्हीप चिंताओ में आज कलाकार, विचारक ,लेखक वैज्ञानिक और बुद्विजीवी वर्ग सांकेतिक सम्माभन लौटाते हुऐ गुहार कर रहे हैं , लेकिन सद्भाव और एकता की कोई सलाह जिन्हें मंज़ूर नहीं उनका यहाँ क्या काम ? इसलिऐ सरकार न् तो कोई सार्थक पहल कर रही हैं और न ही इन दुखद घटनाओ पर अपना रूख साफ कर रही हैं ये सच हैं कि पाकिस्तान से भारत कोई तुलना हो ही नहीं सकती. पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र देश है जबकि भारत धर्मनिरपेक्ष.और यही धर्मनिरपेक्षता हमें सतत रूप से गौरवशाली और विकासशील बना रही हैं ,और यह भी नकारा नही जा सकता की इसमें हिन्दु ओ के अलावा सिख, मुसलमान और अन्यऔ धर्मो का भी योगदान हैं और भारत की धर्मनिरपेक्षता पर खुद मुस्लिम नेता भी मानते हैं कि मुस्लिमों के लिए भारत से अच्छा देश कोई हो नहीं सकता. पाकिस्ताधन में 1947 में सिख और हिंदुओ की जनसंख्याे 25% -30% से घटकर अब 2% -3% के आसपास होने का अनुमान इसी बात की ओर र्इशारा करता हैं कि पाकिस्तादन भारतीय हिन्दुमओं का अपने विकास में न तो बेहतर ईस्तपमाल कर सका और न में शांति और असिथरता की तस्वी र प्रस्तु त कर सका जिससे समूचे विश्वप में इसके प्रति सकरात्मतक और रचनात्माक विश्वा स कायम हो सके ,और इसी का खामियाजा आज पाकिस्ताून के हालात बयान कर रहे हैं ,
पिछले कुछ दिनो से हमारे देश में भी एक ऐसा परिदृश्य बन रहा हैं या बनाया जा रहा या महसूस किया जा रहा हैं कि हम भी वही गलती कर रहे हैं जो पाकिस्ताीन कर रहा हैं परस्पबर विरोध का जो माहौल बन रहा हैं उसे तुरंत विश्वास में बदलने की जरूरत हैं ,पर कलाकार, विचारक ,लेखक वैज्ञानिक और बुद्विजीवी वर्ग की इसी चिंता को न केवल बडे दुर्भाग्या के साथ बिना किसी ठोस आश्वारसन के खारिज किया जा रहा हैं साथ ही उन्हेक काग्रेसी/ वामपंथी कह कर नकारा भी जा रहा हैं ,पाकिस्तान के अलगाववादी भी ऐसा ही करतें रहे जैसा आज हमारे राष्टवादी संगठन कर रहे हैं अपने आप को सुसंस्कृ त कहते हैं पर विध्वं स और अपशब्दोद के साथ तर्क कुतर्क करेगें, मुल तत्व पर बात नहीं करेंगे बल्कि उससे उल्टाी कोई मुद्दा उठाकर अनावश्य्क आक्रोश और तनाव का माहोल बनाऐ रखेगें , फासीवाद और समाजवाद को एक दुसरे की चाशनी में उबालते रहेगें , उनके आतंक की बात कि जाऐ तो वो कहेंगे कि अरे आप तो इस्ला मी आतंक के समर्थक हैं। आप सरकार की नितिओ का विरोध करने का जिम्माव केवल इस्ला मिक ,काग्रेसी या वामपंथी का ही हैं, देश के निर्माण अमन चैन और गौरव में कलाकार, विचारक ,लेखक वैज्ञानिक और बुद्विजीवी वर्ग का कोई महत्व नही हैं , अगर के लोग ये मान भी ले कि देश के मतदाता ने संघी हिन्दूम राष्ट्र के पक्ष में वोट किया हैं तो देश का अमनपरस्त हिन्दूी क्योत इसका खामियाजा भूगते, इसके लिऐ बहूमत की सरकार हैं, आवश्य क बिल लाके संवैधानिक परिवर्तन कर ले इस तरह सरकार का चुप रहना और जबाबदेह पदो पर बैठे लोगो का मनमानी करना क्याल भारत को पाकिस्तालनी कोलोन बनाने का प्रयोग हैं , क्याै भारत के सवा सौ करोड लोगो का पाकिस्तासनीकरण किया जा सकता हैं क्याा ये संभव हैं ,जबकी ये कटु सच हैं कि हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता ही हमारी सफलता और सौन्दसर्य हैं ;;;;;
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